
नई दिल्ली। जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। शपथ के बाद CJI सूर्यकांत ने राष्ट्रपति भवन में मौजूद पीएम मोदी समेत अन्य लोगों से मुलाकात की। साथ ही इस समारोह में ब्राजील समेत सात देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज भी राष्ट्रपति भवन पहुंचे। देश के नये सीजेाई ने शपथ के बाद माता-पिता के पैर छुकर आशीर्वाद लिए।
नये मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने जस्टिस बीआर गवई की जगह ली है। सीजेआई लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे। 9 फरवरी 2027 को 65 साल के होने पर पद छोड़ देंगे। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने आर्टिकल 370, पेगासस और बिहार वोटर लिस्ट जैसे कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों में अहम भूमिका निभाई है।
सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल में आर्टिकल 370, बोलने की आज़ादी और नागरिकता के मुद्दों पर अहम फैसले शामिल हैं, जो आज के संवैधानिक कानून को बनाने में उनकी भूमिका को दिखाते हैं। जज उस बेंच में भी थे जिसने हाल ही में प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई की, जिसमें राज्य विधानसभा द्वारा पास किए गए बिलों से निपटने में गवर्नर और प्रेसिडेंट की शक्तियों के दायरे की जांच की गई थी। मामले में फैसले का इंतजार है और उम्मीद है कि इसका कई राज्यों पर बड़ा असर पड़ेगा।
एक अलग सुनवाई में, जस्टिस कांत ने चुनाव आयोग से बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से छूटे 65 लाख वोटरों की जानकारी देने की अपील की। यह निर्देश तब आया जब सुप्रीम कोर्ट राज्य में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन करने के कमीशन के फैसले को चुनौती देने वाली पिटीशन पर सुनवाई कर रहा था।
कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत
नये मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मिडिल-क्लास परिवार में हुआ था। जस्टिस सूर्यकांत के पिता मदनमोहन शास्त्री संस्कृत के शिक्षक और प्रसिद्ध साहित्यकार थे। मां शशि देवी गृहणी थीं। बड़े भाई ऋषिकांत सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, दूसरे भाई शिवकांत डॉक्टर और तीसरे देवकांत आईटीआई से रिटायर्ड हैं। बहन कमला देवी सबसे बड़ी हैं। जस्टिस सूर्यकांत सबसे छोटे हैं।
सीजेआई सूर्यकांत के बड़े भाई ऋषिकांत ने बताया कि सूर्यकांत ने 10वीं तक पढ़ाई गांव में की। इसके बाद वे पहली बार शहर गए थे। ऋषिकांत ने बताया, ‘एक भाई डॉक्टर बना तो पिताजी चाहते थे सूर्यकांत इंजीनियर बनें, लेकिन उन्होंने कानून पढ़ा। पढ़ने में तेज थे। सूर्यकांत अभी भी गांव से जुड़े हैं। गांव के दोनों स्कूल के टॉपर्स को सम्मानित करने हर साल आते हैं। गांव में पूर्वजों के नाम पर एक तालाब है। वहां जरूर जाते हैं। जब भी आते हैं बथुआ, बाजरे की रोटी, कढ़ी बनती है।
सूर्यकांत के बड़े भाई देवकांत ने बताया कि जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत हैं और वह कॉलेज में प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई हैं। वह इंग्लिश की प्रोफेसर रही हैं। उनकी 2 बेटियां हैं- मुग्धा और कनुप्रिया। दोनों बेटियां पढ़ाई कर रही हैं। भाई ऋषिकांत ने बताया, सूर्यकांत के विवाह की बात चली तो उन्होंने कहा था दहेज में एक चम्मच भी नहीं लूंगा। विवाह 1987 में जींद की सविता शर्मा से हुआ।




