
मध्यप्रदेश का अन्नदाता अब बन रहा है ऊर्जादाता
किसानों का कल्याण सर्वोपरि, किसान हित में करेंगे सभी प्रयास
सूखे खेत को पानी मिल जाये तो फसल हो जाती है सोना
हम हर खेत तक पहुंचायेंगे पानी
किसानों की खुशहाली ही हमारे विकास का है मुख्य आधार
मुख्यमंत्री ने सोलर पंप स्थापना के लिये की किसानों को 90 प्रतिशत सब्सिडी देने की घोषणा
विद्युत पंप से एक स्टेप अधिक पॉवर केपिसिटी का दिया जायेगा सोलर पंप
सोयाबीन पर भावांतर भुगतान के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री निवास में हुआ किसान आभार सम्मेलन
भोपाल और नर्मदापुरम संभाग के 3 हजार से अधिक किसान हुए शामिल
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हमारे किसान भाई ही मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। किसानों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है। सरकार का हर निर्णय किसानों के कल्याण को ध्यान में रखकर लिया जा रहा है। किसानो की भलाई के लिए हमारी सरकार हर जरूरी कदम उठायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर संभव तरीके से किसानों की आय बढ़ाकर उनकी माली हालत मजबूत करने के लिए प्रयासरत है। भावांतर योजना किसानों को खुले बाजार में फसलों की कीमतों के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा देती है। यह योजना किसान हित में सरकार की एक बड़ी पहल है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को मुख्यमंत्री निवास परिसर में ‘सोयाबीन पर भावांतर भुगतान के उपलक्ष्य में’ आयोजित किसान आभार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सूखे खेत को अगर पानी दे दिया जाये, तो फसल सोना हो जाती है, हम प्रदेश के हर खेत तक पानी पहुंचायेंगे। मध्यप्रदेश के अन्नदाता अब ऊर्जादाता बन रहे हैं। किसान भाई अपने खेतों में सोलर पंप जरूर लगाएं। सोलर पंप लगाने से बिजली के अस्थाई कनेक्शन के खर्च से मुक्ति मिलेगी। मुख्यमंत्री ने किसानों के हित में एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि सोलर पॉवर पंप स्थापना के लिये किसानों को अब 90 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। पहले 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को विद्युत पंप से एक स्टेप अधिक पॉवर केपिसिटी का सोलर पॉवर पंप दिया जायेगा अर्थात् 3 HP वाले किसान को 5 HP का सोलर पॉवर पंप और 5 HP वाले किसान को 7.5 HP का सोलर पॉवर पंप दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने किसान आभार सम्मेलन में पारम्परिक वेशभूषा में सांस्कृतिक प्रस्तुति देने वाले सभी कलाकारों को 5-5 हजार रूपए देने की घोषणा भी की। इससे पहले मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्ज्वलन तथा भगवान हलधर बलराम एवं भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण कर सम्मेलन की विधिवत् शुरूआत की।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि किसान भाइयों की मेहनत से ही प्रदेश की जीडीपी में कृषि 39 प्रतिशत से अधिक का योगदान देती है। किसान भाई सच्चे अर्थों में मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, फलों और सब्जियों के उत्पादन की दृष्टि से मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है। प्लांट बेस्ड प्रोटीन के उत्पादन के मामले में भी हम कम नहीं हैं। संतरा, मसाले, लहसुन, अदरक और धनिया उत्पादन में मध्यप्रदेश नंबर वन है। मटर, प्याज, मिर्च, अमरूद उत्पादन में दूसरे तथा फूल, औषधीय एवं सुंगधित पौधों के मामले में तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश है। उन्होंने कहा कि आज मध्यप्रदेश सोयाबीन स्टेट, मिलेट्स स्टेट, मसाला स्टेट, लहसुन स्टेट और संतरा स्टेट के रूप में प्रसिद्ध होकर देश का फूड बास्केट कहलाने लगा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि खेती-किसानी के लिए जल अमृततुल्य होता है। इसीलिए जल-संरक्षण के हर जरूरी उपाय कर जल अवश्य बचायें। हमारी सरकार ने प्रदेश के सभी अंचलों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 3 बड़ी नदी जोड़ो परियोजनाओं पर काम प्रारंभ किया है। राजस्थान के साथ पार्वती-काली सिंध-चंबल (पीकेसी) नदी जोड़ो से बुंदेलखंड और चंबल, उत्तरप्रदेश के साथ केन-बेतवा से बुंदेलखंड और महाराष्ट्र के साथ ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना से हम प्रदेश के सभी अंचलों में सिंचाई की स्थाई सुविधा उपलब्ध कराने की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान धरती माता के वास्तविक पुत्र हैं। मध्यप्रदेश नदियों का मायका है। प्रदेश में 250 से अधिक नदियां निकलती हैं। मां नर्मदा प्रदेश के किसानों के लिए वरदान है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को अनुदान पर सोलर पंप प्रदान कर रही है। किसान को 90 प्रतिशत अनुदान पर सोलर पंप दे रहे हैं। किसानों को 32 लाख सोलर पंप दिए जा रहे हैं। किसान 5 हॉर्स पावर तक के सोलर पंप लगाएं। बिजली का खर्च बढ़ाएं और अतिरिक्त बिजली सरकार को बेचें। हमारी सरकार आने पर प्रदेश में अब 52 लाख हेक्टेयर रकबा सिंचित हुआ है। नदी जोड़ो योजना के माध्यम से किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध करा रहे हैं। किसानों की फसल को पानी मिल जाए, फसल सोने की हो जाती है। राज्य सरकार ने सिंचाई का रकबा 100 लाख हेक्टेयर तक करने का लक्ष्य रखा है। किसानों को उनकी फसल का समुचित दाम मिले, इसके लिए फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स भी स्थापित की जा रही हैं, जिससे अधिक उत्पादन होने पर किसान भाइयों को फसल फेकनी न पड़े।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पहले फसल का सीजन निकल जाने पर मुआवजे की राशि भेजी जाती थी। लेकिन अब राज्य सरकार ने सोयाबीन की फसल काटने से पहले ही राशि बांटना शुरू कर दिया है। किसानों की परेशानी किसान का बेटा ही समझ सकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश के किसानों के लिए भावांतर योजना का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि किसान भाई पवित्र मन से दूसरों का पेट भरने के लिए अन्न उगाते हैं। पुरानी सरकारों ने मां नर्मदा के जल का उपयोग नहीं किया। आज वही नर्मदा सिंचाई, पेयजल और उद्योगों को पानी उपलब्ध कराती है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सभी गोपालक किसान धूमधाम से गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाएं। राज्य सरकार शासकीय स्तर पर गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाएगी। प्रदेश में प्रभु श्रीराम के ओरछा धाम को भव्य रूप दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राम वन गमन पथ भी विकसित कर रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े हर स्थान को तीर्थ के रूप में विकसित कर रहे हैं। किसान भाई अपने बच्चों को पढ़ाएं। हमें अपने दोस्तों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मुख्यमंत्री निवास नहीं, किसानों का अपना आवास है। जब चाहें, यहां आयें। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल सोयाबीन के लिए 2 लाख किसानों का पंजीयन हुआ था, भावांतर योजना दोबारा शुरू होने पर 9 लाख से अधिक सोयाबीन उत्पादक किसानों से पंजीयन करा लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लाड़ली बहनों को इसी भाई दूज से 250 रुपए अतिरिक्त लाभ दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी एवं पारदर्शिता लाकर डिलेवरी सिस्टम को और भी सरल बनाने पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि किसानों की खुशहाली ही हमारे विकास का आधार है। जब अन्नदाता (किसान) खुश होता है, तो पूरी कायनात में खुशी छा जाती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार सोयाबीन की फसल को भावांतर योजना के दायरे में लाया गया है। पहले सोयाबीन उत्पादक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फ़सल बेचनी पड़ती थी, इससे उन्हें बहुत नुक्सान उठाना पड़ता था। सरकार ने ऐसे किसानों की पीड़ा समझी और सोयाबीन की फसल को भी हम भावांतर योजना में लेकर आये हैं। ऐसे किसानों को फसल के शासकीय खरीदी मूल्य और बाजार में बिक्री भाव में अन्तर की राशि की भरपाई अब हमारी सरकार करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम किसानों को उनकी फसल की उचित मूल्य की गारंटी लेंगे। भावांतर योजना के माध्यम से किसानों को उनके परिश्रम का पूरा मूल्य दिलाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भावान्तर योजना सिर्फ एक योजना नहीं है, यह सरकार और किसानों के बीच विश्वास का रिश्ता है। उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प है कि किसान का पसीना सूखने से पहले उसका हक़ उसके हाथ में पहुँचे।
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के लिए सदैव तत्पर है। किसानों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ और मुआवजा प्रदान करने के लिए हमारी सरकार फैसले लेती है। भावांतर योजना किसानों के लिए एक वरदान बनेगी।
विधायक एवं प्रदेशाध्यक्ष श्री हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के कल्याण, उनकी उपज का उचित लाभ और किसानों को सम्मान निधि देने के लिए केन्द्र सरकार के साथ निरंतर समन्वय कर बेहतरीन कार्य कर रही है।
नर्मदापुरम सांसद श्री दर्शन सिंह चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में किसानों के हित में निर्णय लिए जा रहे हैं। पहले किसानों को 175 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस देकर 2600 रुपए के भाव से गेहूं खरीदा। अब प्रदेश के सोयाबीन किसानों को भावांतर योजना का लाभ दिया जा रहा है। राज्य सरकार पीले मोजेक से हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को मुआवजा दे रही है। पशुपालक किसानों और गौमाता के कल्याण के लिए गौशालाओं को दिया जाने वाला अनुदान दोगुना कर 40 रुपए किया है। प्रदेश के किसानों को 12 हजार रुपए किसान सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है। किसान भाई विपक्ष के भ्रम में न आएं। सरकार ने मूंग की खरीदारी कर भी एक रिकॉर्ड कायम किया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार हर सुख दुख में किसानों के साथ खड़ी है।
इस अवसर पर नर्मदापुरम, भोपाल, सीहोर, राजगढ़, रायसेन और विदिशा जिलों के लगभग 3 हजार से अधिक किसान उपस्थित थे। किसान सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य किसानों को शासन की भावांतर भुगतान योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी देना और किसानों को इस योजना का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना था।
किसानों को दी गई भावांतर योजना की जानकारी
कृषि, सहकारिता और विपणन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोयाबीन उत्पादक किसानों को भावांतर योजना की प्रक्रिया, पंजीयन और तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (5328 रुपए प्रति क्विंटल) से फसल के बिक्री मूल्य के वास्तविक अंतर की राशि के लाभ वितरण की व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी। किसान सम्मेलन में बताया गया कि भावांतर योजना के अंतर्गत सोयाबीन उत्पादक किसान 24 अक्टूबर 2025 से 15 जनवरी 2026 तक अपनी उपज कृषि उपज मंडियों में विक्रय कर सकेंगे। फ़सल बेचने के बाद भावांतर की राशि मात्र 15 दिनों के भीतर सीधे किसानों के आधार से लिंक बैंक खाते में जमा कर दी जाएगी। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भावांतर योजना के लिए किसानो द्वारा ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन की प्रक्रिया 17 अक्टूबर तक पूरी की जा चुकी है।
सम्मेलन में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर, राज्यसभा सदस्य श्रीमती माया नारोलिया, वरिष्ठ विधायक श्री सीताशरण शर्मा, विधायक श्री भगवान दास सबनानी, विधायक श्री प्रेमशंकर वर्मा, जिलाध्यक्ष श्री रविंद्र यति, श्री महेन्द्र सिंह यादव, श्री हीरालाल पाटीदार, श्री मुकेश शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं बड़ी संख्या में किसान बन्धु उपस्थित थे। सम्मेलन में किसान मोर्चा, किसान यूनियन, गौ-सेवक संगठन और राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ द्वारा मुख्यमंत्री को पगड़ी पहनाकर हल, गदा और बड़ी गजमाला से आत्मीय स्वागत अभिनंदन किया गया।