
New Delhi/Raipur. हर व्यक्ति के जीवन में एक मोड़ आता है जब वो सोचता है कि उसकी जिंदगी का मकसद क्या है।
कुछ लोग इलाज के ज़रिए लोगों की मदद करते हैं, कुछ शिक्षा से, और कुछ प्रशासन से।
लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दोनों रास्ते चुनते हैं —
“लोगों की जान भी बचाएँ और उनकी ज़िंदगी भी बेहतर बनाएँ।”
ऐसे ही एक शख्स हैं डॉ. रवि मित्तल, जो डॉक्टर भी रहे हैं और अब भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में रहकर जनता की धड़कन को समझ रहे हैं।

शुरुआती जीवन और शिक्षा
डॉ. रवि मित्तल बचपन से ही वे service-oriented mindset थे, स्कूल के दिनों में ही वे अपनी पढ़ाई में अव्वल रहते थे, लेकिन उनकी जिज्ञासा हमेशा यह रही “सिर्फ बीमारी का इलाज क्यों करें, समाज की बीमारी क्यों नहीं?” उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में कदम रखा और MBBS की डिग्री प्राप्त की। एक डॉक्टर के रूप में वे लोगों की सेवा करने लगे, उनकी पीड़ा को करीब से महसूस किया। पर इसी अनुभव ने उनके भीतर एक और सवाल खड़ा किया — “क्या मैं सिर्फ अस्पताल की चार दीवारों तक सीमित रहकर सबका जीवन सुधार सकता हूँ?” यहीं से उनके जीवन की दूसरी दिशा शुरू हुई। UPSC की तैयारी — जब डॉक्टर ने चुनी प्रशासन की राह डॉ. मित्तल ने तय किया कि अब वे केवल बीमार शरीरों का नहीं, बल्कि एक बीमार सिस्टम का इलाज करेंगे। उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की — बिना किसी औपचारिक कोचिंग के, अपने दम पर। चिकित्सा की पढ़ाई से आए अनुशासन और संवेदनशीलता ने उनकी तैयारी में मदद की। वे समझ चुके थे कि प्रशासनिक सेवा केवल आदेश देने की कुर्सी नहीं है, बल्कि यह सेवा की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है।
2016 में, उनकी मेहनत रंग लाई
वे IAS (Indian Administrative Service) में चयनित हुए — छत्तीसगढ़ कैडर में नियुक्ति पाई।
उनकी आँखों में वही चमक थी जो बचपन में थी — बस अब इलाज का तरीका बदल गया था।
जशपुर की पोस्टिंग — प्रशासनिक जीवन की पहली प्रयोगशाला
IAS अधिकारी के रूप में डॉ. मित्तल की पहली बड़ी जिम्मेदारी आई जशपुर जिले के कलेक्टर के रूप में। जशपुर एक सुंदर लेकिन चुनौतीपूर्ण इलाका है —घने जंगल, आदिवासी बहुल क्षेत्र, सीमित संसाधन और कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ। यहाँ उन्होंने प्रशासन को एक “मानवीय चेहरा” देने की कोशिश की। डॉ. मित्तल की कार्यशैली का एक ही सिद्धांत था “सरकार का असर जनता तक तभी पहुँचेगा, जब अफसर जनता के बीच पहुँचे।” वे अक्सर बिना किसी प्रोटोकॉल के गाँवों में जाते, लोगों से बैठकर बात करते, स्कूलों का निरीक्षण करते, और किसानों से सीधा संवाद करते। उन्होंने स्थानीय स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला स्व-सहायता समूहों पर विशेष ध्यान दिया। जशपुर में उन्होंने एक पहल शुरू की : “जन संवाद शिविर”, जहाँ अफसर खुद गाँव पहुँचकर लोगों की शिकायतें सुनते और तत्काल समाधान करते। इससे न सिर्फ जनता का भरोसा बढ़ा, बल्कि प्रशासन की छवि भी बदली।
जनसंपर्क विभाग का नेतृत्व — जनता तक सरकार की आवाज़
2024 में डॉ. रवि मित्तल को छत्तीसगढ़ सरकार के जनसंपर्क विभाग का कमिश्नर बनाया गया। यह पद उनकी क्षमताओं और संचार कौशल दोनों का संगम था। अब वे राज्य की सरकारी नीतियों, योजनाओं और उपलब्धियों को जनता तक पहुँचाने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वे मानते हैं कि शासन और जनता के बीच सबसे मजबूत कड़ी “संचार” ही है। अगर संवाद सही हो, तो गलतफहमियाँ मिट जाती हैं और विश्वास बनता है। उन्होंने जनसंपर्क विभाग में डिजिटल माध्यमों को प्राथमिकता दी। सोशल मीडिया, न्यूज़ पोर्टल्स, और नई तकनीकों के ज़रिए सरकारी नीतियों को युवा पीढ़ी तक पहुँचाने का काम उन्होंने तेजी से बढ़ाया।
उनका उद्देश्य है — “सरकार और जनता के बीच दूरी नहीं, जुड़ाव हो।”
काम करने की सोच — एक संवेदनशील प्रशासक
डॉ. रवि मित्तल का काम करने का तरीका पारंपरिक अफसरों से थोड़ा अलग है। वे “फाइलों के अफसर” नहीं, “फील्ड के अफसर” माने जाते हैं। उनकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि वे हर निर्णय को “लोगों के नजरिए” से देखते हैं।
एक बार एक मीडिया बातचीत में उन्होंने कहा था —“प्रशासन का असली काम आदेश देना नहीं,
बल्कि सुनना, समझना और समाधान देना है।”
उनकी इस सोच ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया है। वे सिर्फ सरकारी बैठकों में नहीं दिखते, बल्कि गाँवों में लोगों के साथ बैठकर चाय पीते और उनकी कहानियाँ सुनते हैं।

चुनौतियाँ और दिशा
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जनसंपर्क और प्रशासनिक पारदर्शिता को बनाए रखना एक कठिन कार्य है। यहाँ विविधता भी है और भौगोलिक जटिलताएँ भी। लेकिन डॉ. मित्तल इस चुनौती को अवसर में बदल रहे हैं। उन्होंने अपने विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति को बढ़ावा दिया है। फीडबैक सिस्टम को मजबूत किया गया है ताकि जनता की आवाज़ सीधे सरकार तक पहुँचे। उनकी टीम अब “Real-time Communication Model” पर काम कर रही है, जहाँ किसी भी नीति या घोषणा के बाद उसका प्रभाव तुरंत ट्रैक किया जाता है। इससे राज्य प्रशासन और जनता के बीच एक “trust bridge” बन रहा है।
व्यक्तित्व और प्रभाव
डॉ. मित्तल एक शांत, विनम्र और कर्मप्रधान अफसर माने जाते हैं। उनका व्यक्तित्व “power” से नहीं, “purpose” से परिभाषित होता है। उनकी आवाज़ में आदेश नहीं, अपनापन होता है। वे आज भी खुद को एक “student of governance” कहते हैं। उनकी विनम्रता यही बताती है कि उनके लिए IAS होना “पद” नहीं, “साधना” है।
एक डॉक्टर जिसने समाज की नब्ज़ पकड़ी
आज जब सरकारी अफसरों की छवि अक्सर “दूर” और “अप्राप्य” समझी जाती है, डॉ. रवि मित्तल जैसे अधिकारी उम्मीद जगाते हैं। उन्होंने डॉक्टर बनकर शरीरों का इलाज किया, और अफसर बनकर समाज की नब्ज़ को ठीक करने की कोशिश की। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि “अगर नीयत साफ हो, तो पेशा नहीं, सेवा मायने रखती है।” डॉ. मित्तल आज भी वही हैं जो अपने गाँव के लोगों के बीच बैठकर सुनते थे, बस अब उनकी जिम्मेदारी बड़ी है, और असर लाखों पर है।
“डॉ. रवि मित्तल – वो अफसर जो जनता के दिल की धड़कन बन गए।”
— प्रस्तुत: Aditya Bharat Digital




