
रायपुर। छत्तीसगढ़ संवाद कार्यालय, नवा रायपुर में विभागीय अपर संचालक संजीव तिवारी के साथ हुई अभद्रता, झूमा-झटकी, गाली-गलौज और कार्यालय में तोड़फोड़ की घटना के विरोध में आज छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन और छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी संघ का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यह घटना केवल एक शासकीय अधिकारी पर हमला नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की संस्थागत गरिमा और अनुशासन पर सीधा प्रहार है।
फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि यह अत्यंत चिंताजनक है कि पत्रकारिता की आड़ में भयादोहन और ब्लैकमेलिंग की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आत्मा है, किंतु पत्रकारिता के नाम पर भय, भ्रम और दबाव का वातावरण बनाना न केवल वास्तविक पत्रकारिता का अपमान है, बल्कि समाज और शासन — दोनों के प्रति विश्वासघात है। उन्होंने मुख्यमंत्री से यह मांग की कि राज्य में शासकीय सेवकों की सुरक्षा हेतु एक सशक्त कानून बनाया जाए, ताकि अधिकारी और कर्मचारी भयमुक्त होकर जनहित के कार्य कर सकें तथा असामाजिक तत्वों को कठोर दंड मिल सके। कमल वर्मा ने यह भी अनुरोध किया कि सभी शासकीय कार्यालयों, विशेषकर इंद्रावती भवन में सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक कड़ा किया जाए तथा सभी प्रवेश द्वार में सुरक्षा जांच के लिए आवश्यक उपकरण स्थापित किए जाए। उन्होंने राज्य स्तर से लेकर विकासखंड स्तर तक सभी अधिकारी और कर्मचारी बिना भय के अपने शासकीय दायित्वों का निर्वहन कर सकें, इसके लिए ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया।
छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रवक्ता एवं छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी संघ के अध्यक्ष बालमुकुंद तंबोली ने कहा कि शासकीय कार्यालय में घुसकर हिंसक व्यवहार, झूमा-झटकी, गाली-गलौज और घर जाकर मारने की धमकी देना किसी भी सुसंस्कृत समाज में अस्वीकार्य है। ऐसी घटनाएँ पूरे विभाग में भय और असुरक्षा का वातावरण उत्पन्न करती हैं, जिससे अधिकारी-कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित होता है और शासन-प्रशासन की कार्यकुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि जनसंपर्क विभाग सरकार और जनता के बीच विश्वास का सेतु है। जनसंपर्क विभाग के अधिकारी शासन की नीतियों को जन-जन तक पहुँचाने और मीडिया के साथ संवाद बनाए रखने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। शासकीय दायित्व निभा रहे जनसंपर्क अधिकारी पर पत्रकारिता की आड़ में कार्यालय में हमला करना और घर में घुसकर मारने की धमकी देना न केवल लोकतंत्र की मूल भावना के विरुद्ध है, बल्कि शासन की गरिमा पर भी आघात है।