पापुआ न्यू गिनी में भूस्खलन, जिंदा दफन हो गए 2000 से ज्यादा लोग
नई दिल्ली। पापुआ न्यू गिनी राष्ट्रीय आपदा केंद्र ने कहा कि देश के उत्तरी भाग के एक दूरदराज के गांव में शुक्रवार (24 मई) को हुए भूस्खलन में 2,000 से ज्यादा लोग दब गए। राष्ट्रीय आपदा केंद्र के एक अधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र को लिखे एक पत्र में बताया कि भूस्खलन में 2 हजार से ज्यादा लोग जिंदा दफन हो गए और इमारतों, खाद्य उद्यानों को बड़ा नुकसान हुआ और देश की आर्थिक जीवन रेखा पर बड़ा प्रभाव पड़ा।
यूएन का कहना है कि आपातकालीन टीमों ने पापुआ न्यू गिनी के बड़े पैमाने पर भूस्खलन के मलबे से तीन शव निकाले, चेतावनी दी कि इस आपदा में मरने वालों की संख्या पांच हो सकती है, जहां सैकड़ों लोगों के मारे जाने की आशंका है।
ऑस्ट्रेलिया के विदेश मामलों और व्यापार विभाग ने कहा कि प्रांत के मुलिताका क्षेत्र में भूस्खलन से 6 से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी आईओएम ने कहा कि 100 से ज्यादा घर, एक प्राथमिक विद्यालय, छोटे व्यवसाय और स्टॉल, एक गेस्टहाउस और एक पेट्रोल स्टेशन जमींदोज हो गए।
बता दें कि, पापुआ न्यू गिनी ऑस्ट्रेलिया के उत्तर में स्थित द्वीप है और भूस्खलन से प्रभावित इलाके इसके उत्तर में एन्गा प्रांत के ऊंचाई वाले इलाके में है। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में करीब 4,000 लोग रह रहे थे। भूस्खलन में हताहत लोगों की सटीक संख्या के बारे में हमें अभी भी पता नहीं है और कुछ समय तक इसका पता लगा पाना मुश्किल है, अनुमान लगाया जा रहा है कि मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है।
पापुआ न्यू गिनी पिछले साल उस समय चर्चा में आया था जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान में जी-7 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद वहां पहुंचे थे। पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे खुद एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने पहुंचे थे।
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