
India’s ongoing conversation on electoral reforms has gained fresh momentum as Kurukshetra MP Naveen Jindal urged the Lok Sabha to prioritise “Ease of Voting” as a national objective. At a time when the country focuses on improving ease of living and ease of doing business, Jindal emphasised that the democratic right to vote must also become more accessible for millions of citizens, especially NRIs, migrant workers, elderly voters, and people with disabilities.
चुनाव सुधार में ‘मतदान की सुविधा (Ease of Voting)’ को दें सर्वोच्चता: नवीन जिंदल
कुरुक्षेत्र सांसद Naveen Jindal ने आज लोकसभा में ज़ोर देकर कहा कि भारत में ‘Ease of Living’ एवं ‘Ease of Doing Business’ की चर्चा होती रहती है, लेकिन अब वक्त आ गया है कि ‘Ease of Voting’ को राष्ट्रीय प्राथमिकता दी जाए।
जिंदल ने बताया कि 1.5 करोड़ से अधिक प्रवासी भारतीय (Non-Resident Indians) भारतीय नागरिक हैं, लेकिन चुनाव के दौरान वे बड़ी संख्या में वोट नहीं दे पाते क्योंकि वे देश वापस नहीं लौट पाते।
उन्होंने सुझाव दिया कि अगर देशों जैसे एस्टोनिया, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और मेक्सिको में सुरक्षित रिमोट या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग हो सकती है, तो भारत भी एक सुरक्षित डिजिटल तंत्र विकसित कर सकता है, जिससे कहीं भी रहने वाले नागरिक मतदान कर सकें।
इस प्रकार की absentee या e-voting व्यवस्था न केवल NRIs के लिए, बल्कि बुज़ुर्ग, दिव्यांग, प्रवासी कामगार व उन लोगों के लिए मददगार होगी जो मतदान केंद्र तक नहीं पहुँच पाते। इससे मतदाताओं की भागीदारी — जो अक्सर करीब 64-65 प्रतिशत रहती है — में वृद्धि हो सकती है।
जिंदल ने कहा कि मतदान सिर्फ स्याही का निशान नहीं, बल्कि नागरिक की पहचान और ताकत है। उन्होंने सरकार और Election Commission of India (ECI) से अपील की है कि वे विश्वभर की सर्वोत्तम प्रथाओं को देखें और एक भरोसेमंद डिजिटल मतदान तंत्र लागू करें।
क्यों है यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण?
भारत में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक — विशेषकर NRIs — रहते हैं, लेकिन वर्तमान व्यवस्था उन्हें मतदान से वंचित करती है।
डिजिटल इंडिया और ऑनलाइन प्रणालियों में भारत सफलता पा चुका है; उसी तकनीक का इस्तेमाल वोटिंग के लिए किया जा सकता है।
ई-वोटिंग से मतदान में भागीदारी बढ़ सकती है — विशेषकर उन लोगों में जो पारंपरिक मतदान केंद्रों तक नहीं पहुँच पाते।
यह कदम लोकतंत्र को और अधिक समावेशी (inclusive) व आधुनिक बनाएगा।
सुझाव / आगे की राह
सरकार और चुनाव आयोग को विदेशों व भारत दोनों में रहने वाले मतदाताओं के लिए सुरक्षित ई-वोटिंग या absentee ballot की व्यवस्था बनानी चाहिए।
बुज़ुर्ग, दिव्यांग, प्रवासी/मजदूरों, और अन्य असुविधाओं का सामना करने वाले मतदाताओं के लिए मतदान को सुगम (accessible) बनाया जाना चाहिए।
डिजिटल सुरक्षा, पहचान सत्यापन और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए मतदान की प्रक्रिया को आधुनिक बनाना चाहिए।




