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धर्मध्वज स्थापित होने पर बोले मोहन भागवत- आज हमारे संकल्प की पुनरावृत्ति का दिवस है

नई दिल्ली। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के ‘शिखर’ पर भगवा ध्वज के विधिवत आरोहण का ऐतिहासिक समारोह संपन्न हुआ। इस महत्वपूर्ण अवसर पर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत को मंदिर के शिखर पर फहराए गए भगवा ध्वज और रामलला की मूर्ति के लघु मॉडल भेंट किए।

आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस दिन को सभी के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन बताया और मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने वालों के बलिदान को याद किया। उन्होंने कहा, यह हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। असंख्य लोगों ने एक सपना देखा, असंख्य लोगों ने प्रयास किए और असंख्य लोगों ने बलिदान दिया। उनकी आत्माएं आज तृप्त हुई होंगी। अशोक जी (अशोक सिंघल) को आज शांति मिली होगी। महंत रामचंद्र दास जी महाराज, डालमिया जी (विष्णु हरि डालमिया) और अनगिनत संतों, लोगों और छात्रों ने अपना जीवन न्योछावर किया और कड़ी मेहनत की। जो लोग पर्दे के पीछे थे, वे भी मंदिर निर्माण की आशा बनाए हुए थे। मंदिर अब बन गया है और आज मंदिर की ‘शास्त्रीय प्रक्रिया’ की गई है। आज ध्वजारोहण किया गया है।

मोहन भागवत ने आगे कहा, राम राज्य का ध्वज, जो कभी अयोध्या में फहराता था और दुनिया में शांति एवं समृद्धि फैलाता था, आज अपने ‘शिखर’ पर विराजमान हो गया है और हमने इसे होते हुए देखा है। ध्वज एक प्रतीक है, मंदिर को बनने में समय लगा। अगर आप 500 साल को भी अलग रख दें, तो भी 30 साल तो लगे ही।

सरसंघचालक मोहन भागवत ने ध्वज के लिए उपयोग किए गए कचनार वृक्ष का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कचनार का पेड़, जो हर तरह से उपयोगी होता है, यहां इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने इसे ‘धर्म जीवन’ तरह बताया। उन्होंने कहा, धर्म जीवन भी एक ऐसा ही जीवन है। हमें ऐसा ही जीवन जीना है और इस जीवन के ध्वज को इसके शिखर तक ले जाना है, स्थिति चाहे जो भी हो, कितनी भी कठिन क्यों न हो… सूर्य भगवान हर दिन बिना थके पूर्व से पश्चिम तक जाते हैं, क्योंकि किसी का कर्तव्य केवल स्वामित्व की भावना से ही पूरा होता है।

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