
लॉकडाउन के समय जब ज्यादातर बच्चे मोबाइल और टीवी में खोए रहते थे, तब उलवे स्थित रैडक्लिफ स्कूल के 12वीं के छात्र सिद्धार्थ दास रस्सी कूदते-कूदते सीधे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड तक पहुँच गए। पहले वे राज्य स्तर के तैराक थे, लेकिन लॉकडाउन में उन्होंने तैराकी छोड़कर रस्सी उठाई और दिन में 2-3 घंटे की प्रैक्टिस शुरू कर दी। शुरुआत में हाथ-पैर में छाले ज़रूर पड़े, लेकिन मेहनत ने उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर बना दिया।
बता दें कि 26 अक्टूबर 2024 को रायगढ़, महाराष्ट्र में उन्होंने पहला बड़ा कारनामा किया जो था सिर्फ 30 सेकंड में 151 बैकवर्ड स्किप्स! फिर 23 जून 2025 को उलवे में उन्होंने एक और रिकॉर्ड बना दिया जो है 3 मिनट में 711 बैकवर्ड स्किप्स।सिद्धार्थ दास बताते हैं, “मेरी यात्रा का असली मोड़ लॉकडाउन था, क्योंकि उस समय तैराकी और दौड़ पर ध्यान देते-देते मैं एक तैराक से स्किपर बन गया।”
पता हो उनकी दिनचर्या काफी कठिन है सुबह वार्मअप, दोपहर में जिम, शाम को तैराकी या दौड़ और रात को रस्सी का अभ्यास। परिवार, कोच और स्कूल हर कदम पर उनका साथ देते हैं।13 साल की उम्र में जब गिनीज टीम ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि वह ‘बहुत छोटे’ हैं, तब भी सिद्धार्थ ने हार नहीं मानी। उन्होंने और ज्यादा मेहनत की और आखिरकार रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। आज उनके पास ढेर सारे मेडल और अवॉर्ड हैं-राज्य स्तरीय तैराकी के सर्टिफिकेट, उलवे रत्न पुरस्कार और चार बार लाइफ़्स ब्रांड एंबेसडर का खिताब। लेकिन सिद्धार्थ अब भी आगे है-वह दो और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स तोड़ना चाहते हैं, ट्रायथलॉन में हिस्सा लेना चाहते हैं और एक दिन ओलंपिक में भारत का नाम रोशन करना चाहते हैं।