
रायपुर। रायपुर-विशाखापट्टनम सिक्स लाइन ग्रीन कॉरिडोर के बहुचर्चित मुआवजा घोटाले में राज्य सरकार ने आज डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को सस्पेंड कर दिया। शशिकांत मुआवजा घोटाले के दौरान अभनपुर के तहसीलदार रहे। उन्हें 324 करोड़ के स्कीम का मास्टरमाइंड बताया जाता है।
भारत सरकार के भारतमाला परियोजना में 324 करोड़ के घोटाले पर बवाल मचाने पर सरकार ने तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू को कल सस्पेंड कर दिया। मगर जमीनों के खसरे का बंटकन का काम तहसीलदार करता है। उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
मुआवजा घोटाले के दौरान 2019 से लेकर 2021 तक शशिकांत अभनपुर के तहसीलदार रहे बताते हैं। मुआवजा के खेल का शशिकांत सूत्र रहे। शशिकांत ने ही 32 खसरों को 247 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया ताकि लोगों को 8 गुना मुआवजा दिलाया जा सके।
रायपुर कलेक्टर ने राजस्व विभाग को जांच रिपोर्ट भेजी है उसमें भी तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत की इस स्कीम में मुख्य भूमिका बताई गई है। जाहिर सी बात है कि एसडीएम बिना तहसीलदार की मदद से इतना बड़ा स्कीम नहीं कर सकता। यह अवश्य ही की 3 एक के प्रकाशन के बाद जमीनों के नक्शा खसरा में परिवर्तन किया गया। इस पर आंख मानते हुए दोनों एसडीएम ने करोड़ों का मुआवजा बांट दिया।
तहसीलदार का प्रमोशन
मुआवजा घोटाले को अंजाम देने वाले तहसीलदार को 2021 में प्रमोट कर डिप्टी कलेक्टर बना दिया गया। इस समय वह कोरबा में पोस्टेड है। रायपुर कलेक्टर राजस्व विभाग में सभी को मालूम है कि तत्कालीन तहसीलदार की इस घोटाले में एवं भूमिका रही मगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन तहसीलदार एक मंत्री के करीबी है। इस वजह से उनके खिलाफ अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ है। इस स्कीम में अभनपुर एसडीएम समेत गोबरा नवापारा के तहसीलदार और दो पटवारी सस्पेंड हो चुके हैं। जबकि गोबरा नवापारा के तहसीलदार के इलाके में उतना बड़ा खेल नहीं हुआ है। 80% से अधिक मुआवजा शशिकांत के इलाके में बांटा मगर उनके मामले में सिस्टम चुप है।
सेठ साहूकारों और भूमाफियाओं का क्या होगा
भारतमाला परियोजना में 324 करोड़ के मुआवजे के लिए सेठ साहूकारों ने सिक्स लेन ग्रीन कॉरिडोर के लिए अभी ग्रहण की जाने वाली जमीनों को प्रतिबंध लगाने के बाद भी पत्नी-बेटे-बेटी नौकर-चाकर के नाम बटवारा कर दिया। ताकि 8 गुना मुआवजा हासिल किया जा सके। यह खेल यहां तक हुआ कि किसानों से एग्रीमेंट कर जमीनों को पैसा दे दिया और अलग से खाता खुलवाकर उसमें पैसा ट्रांसफर कराया और बाद में अपने खाते में पैसा आहरण कर लिया।
भारतमाला परियोजना में जिनकी जमीन है अधिग्रहित हुई उसके किसानों की जमीन लेकर उसका खाता महासमुंद के आइसीआइसी बैंक में खुलवाया गया ताकि किसानों से आसानी से पैसे अपने खाते में ट्रांसफर कराया जा सके।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने जिस लिस्ट को कलेक्टर को भेज कर जांच करने कहा था। नियम विरुद्ध बंटवारे की कलेक्टर की जांच में पुष्टि हो गई है। लिस्ट में एक ही परिवार के नाम पर कई टुकड़े कर दिए गए लिस्ट में कई जगह भारतमाला परियोजना लिखा है। इसका मतलब है कि वक्त टुकड़ा नेशनल हाईवे के नाम पर चढ़ गया है।
कुछ नाम नौकर-चाकर और किसानों के हैं जिसमें एग्रीमेंट कर जमीन ने हथिया ली गई और उसे टुकड़ों में बांट मुआवजा ले लिया गया। 32 जमीनों को 247 टुकड़ों में विभक्त किए गए उनकी कुछ सूची हम प्रकाशित कर रहे हैं। सवाल उठता है प्रतिबंध के बाद भी राजस्व अधिकारियों से मिल छोटे टुकड़े कर कर करोड़ों रुपए का मुआवजा हथियार लेने वाले भूमाफियाओं और सेठ साहूकारों के खिलाफ राजस्व विभाग कोई कार्रवाई करेगा।
भारत सरकार की परियोजना में 324 करोड़ का वारा-न्यारा हो गया मगर राजस्व विभाग ने अभी तक थाने में सामान्य रिपोर्ट भी दर्ज नहीं कराई है। जबकि छोटे मामलों में पुलिस में कंप्लेंट हो जाता है। स्कूल शिक्षा विभाग के फर्जी तबादला आदेश में कल ही स्कूल शिक्षा के अफसर ने नया रायपुर के राखी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।