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मणिपुर में फिर हिंसा, इंफाल समेत तीन जिलों में लगाया गया कर्फ्यू

नई दिल्ली। पूर्वोत्तर का राज्य मणिपुर पिछले सवा साल से हिंसा की आग में जल रहा है। राज्य में पिछले दिनों हुए ड्रोन हमलों के बाद फिर से हालात खराब होने लगे हैं। रविवार रात एक पूर्व सैनिक की हत्या कर दी है। इन सभी मामलों को देखते हुए अब राज्य की राजधानी इंफाल समेत तीन जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

बता दें कि ड्रोन हमले के विरोध में सोमवार रात महिलाओं एक मशाल जुलूस निकाला। इससे पहले सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने राजभवन पर पथराव किया। राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ती देख प्रशासन ने कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया है। इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और थौबल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।

बताया जा रहा है कि राज्य के इन तीनों जिलों में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगाया गया है। इसके साथ ही लोगों को अपने-अपने घरों में रहने की सलाह दी गई है। इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिमी जिले में बीएनएसएस की धारा 162 (2) लागू कर दी गई है। वहीं जिलाधिकारी ने आदेश दिया है कि जिले में बिगड़ती कानून व्यवस्था को देखते हुए 10 सितंबर की सुबह 11 बजे से कर्फ्यू लगाया जा रहा है। जो अगले आदेश तक लागू रहेगा।

हालांकि कर्फ्यू के दौरान जरूरी सेवाओं जैसे बिजली, कोर्ट, स्वास्थ्य और मीडियो को छूट दी गई है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि डीजीपी और सुरक्षा सलाहकार को हटाने के लिए स्टूडेंट्स बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने वाले हैं। ऐसे में तीन जिलों में प्रतिबंधों को लागू किया गया है।

बता दें कि इससे पहले सोमवार को प्रदर्शन करने आए स्कूल और कॉलेजों के सैकड़ों छात्र पूरी रात ख्वारिमबांद मार्केट में रुके रहे। इस दौरान महिलाओं ने उन्हें कैंप लगाने के लिए जगह दी। बता दें कि सोमवार को हजारों छात्रों ने मणिपुर सचिवालय और राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने ये प्रदर्शन हाल ही में हुए हमलों और उनमें मारे गए आठ लोगों की हत्या के विरोध में की। इन हमलों में 12 से ज्यादा लोग घाय भी हुए थे।

सोमवार को मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने प्रदर्शनकारी छात्रों से मुलाकत की। छात्रों के प्रतिनिधि ने बताया कि उन्होंने सरकार से छह मांगें रखी हैं। इसमें डीजीपी और सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग भी शामिल है। इसके साथ ही छात्रों ने यूनीफाइड की कमांड राज्य सरकार को सौंपने की मांग की है। फिलहाल इसका जिम्मा सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह के पास है।

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