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76वां संविधान दिवस: राष्ट्रपति मुर्मू बोलीं- भारत का लोकतंत्र दुनिया के लिए मिसाल

नई दिल्ली। देश आज 76वां संविधान दिवस मना रहा है। संविधान सदन (पुराना संसद भवन) के सेंट्रल हॉल में खास कार्यक्रम आयोजित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता में ये कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृषण, पीएम नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा नेता प्रतिपक्ष मल्लिकाजुर्न खरगे समेत सभी सांसद शामिल हुए। कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र दुनिया के लिए मिसाल है। भारत जल्द दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनेगा।

इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया सहित 9 भाषाओं में संविधान का अनुवादित संस्करण जारी किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, संविधान दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। आज ही के दिन 26 नवंबर, 1949 को संविधान भवन के इसी केंद्रीय कक्ष में संविधान सभा के सदस्यों ने भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने का कार्य पूरा किया था। उसी वर्ष आज ही के दिन हम भारत के लोगों ने अपने संविधान को अंगीकार किया था। स्वतंत्रता के बाद संविधान सभा ने भारत की अंतरिम संसद के रूप में भी कार्य किया। प्रारूप समिति के अध्यक्ष बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर हमारे संविधान के प्रमुख निर्माताओं में से एक थे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, तीन तलाक से जुड़ी सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाकर संसद ने हमारी बहनों और बेटियों के सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए। देश के आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार, वस्तु एवं सेवा कर, लागू किया गया। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने से एक ऐसी बाधा दूर हुई जो देश के समग्र राजनीतिक एकीकरण में रुकावट डाल रही थी। नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिला नेतृत्व वाले विकास के एक नए युग की शुरुआत करेगा, इस वर्ष 7 नवंबर से शुरू होकर, हमारे राष्ट्रगान वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव आयोजित किया जा रहा है।

कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा, हमारे संविधान का प्रारूपण, उस पर बहस और उसे संविधान सभा में भारत माता के हमारे महान नेताओं द्वारा किया गया। यह स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हमारे लाखों देशवासियों के सामूहिक ज्ञान, त्याग और सपनों का प्रतीक है। महान विद्वानों, प्रारूप समिति और संविधान सभा के सदस्यों ने करोड़ों भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए गहन विचार दिए। उनके निस्वार्थ योगदान ने आज भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया है। हमारा संविधान बुद्धिमता और जीवंत अनुभव, त्याग, आशाओं और आकांक्षाओं से निर्मित हुआ है। हमारे संविधान की आत्मा ने सिद्ध कर दिया है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा।

 

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